भ्रामक विज्ञापन पर पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी

नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि की दवाओं के भ्रामक दावों के विषय में बिना शर्त माफी मांग ली है। बालकृष्ण की माफी 2 अप्रैल को बाबा रामदेव के साथ सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेशी के आदेश के एक दिन बाद दायर किये गये हलफनामे में शामिल है। पतंजलि के एमडी बालतृष्ण की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किये गये एक संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया है कि उन्हें कंपनी के “अपमानजनक वाक्यों” वाले विज्ञापन पर खेद है। दरअसल रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा और अन्य बीमारियों के इलाज के बारे में पतंजलि का दावा न केवल ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 का उल्लंघन है, बल्कि अदालत की अवमानना ​​भी है क्योंकि बीते 21 नवंबर को 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में पतंजलि को ऐसे विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपने हलफनामे में दावा किया कि उन्हें पतंजलि की दवाओं के विज्ञापन में किये जा रहे दावे की जानकारी नहीं थी और वो उसमें “अनजाने में” शामिल हो गए। बालकृष्ण के हलफनमे में कहा गया है, “अभिसाक्षी को खेद है कि विचाराधीन विज्ञापन, जिसमें केवल सामान्य बयान शामिल थे। उसके बारे में वो नहीं जानता था कि आपत्तिजनक वाक्य शामिल हैं। पतंजलि आयुर्वेद की ओर से अभिसाक्षी ने बयान के उल्लंघन के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगता है और यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं।”
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अदालत को दिए गए वचन का उल्लंघन करने और 27 फरवरी को दी गई दो सप्ताह की अवधि के भीतर हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई थी।

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