ऋषिकेश। पुलिस ने ऋषिकेश में लिफ्ट देकर लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने कैश और सोने के आभूषण बरामद किए हैं। पुलिस ने ठगी में इस्तेमाल कार को भी सीज कर दिया है।
दून के पुलिस कप्तान अजय सिंह ने बताया कि ऋषिकेश में लिफ्ट देकर वाहन में ठगी करने की दो घटनाएं सामने आई थी। इस मामले में खिलानंद नौटियाल और चेतूराम ने पुलिस में तहरीर दी थी। दोनों घटनाओं में सोने के आभूषण और 61 हजार रुपए नकद की ठगी हुई थी। पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर ठगों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए। जिसके बाद कोतवाल राजेंद्र सिंह खोलिया और एसओजी प्रभारी शंकर सिंह बिष्ट की टीम ने खांड गांव के पास से तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि जगत सिंह पहले भी डोईवाला और नेहरू कॉलोनी थाने से इसी प्रकार के मामले में जेल की हवा खा चुका है। तीनों आरोपी बस अड्डे में पहाड़ जाने वाले भोले भाले यात्रियों को अपनी ठगी का शिकार बनाते थे। इसमें मुख्य रूप से जगत सिंह गढ़वाली बोलकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था, फिर उन्हें कार में बैठा लेते थे।
इसके बाद आगे चलकर तलाशी का बहाना बनाकर उनके सारे पैसे और जेवरात एक लिफाफे में रखवा देते थे। फिर शातिराना तरीके से उस लिफाफे को बदल देते थे। कुछ दूर जाकर फिर कुछ बहाना बनाकर उन्हें कार से उतार देते थे। गढ़वाली में बात करने पर पहाड़ के भोले भाले लोग आसानी से कार में बैठ भी जाते थे। जिसके बाद उनके साथ ठगी हो जाती थी।
दून के पुलिस कप्तान अजय सिंह ने बताया कि ऋषिकेश में लिफ्ट देकर वाहन में ठगी करने की दो घटनाएं सामने आई थी। इस मामले में खिलानंद नौटियाल और चेतूराम ने पुलिस में तहरीर दी थी। दोनों घटनाओं में सोने के आभूषण और 61 हजार रुपए नकद की ठगी हुई थी। पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर ठगों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए। जिसके बाद कोतवाल राजेंद्र सिंह खोलिया और एसओजी प्रभारी शंकर सिंह बिष्ट की टीम ने खांड गांव के पास से तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि जगत सिंह पहले भी डोईवाला और नेहरू कॉलोनी थाने से इसी प्रकार के मामले में जेल की हवा खा चुका है। तीनों आरोपी बस अड्डे में पहाड़ जाने वाले भोले भाले यात्रियों को अपनी ठगी का शिकार बनाते थे। इसमें मुख्य रूप से जगत सिंह गढ़वाली बोलकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था, फिर उन्हें कार में बैठा लेते थे।
इसके बाद आगे चलकर तलाशी का बहाना बनाकर उनके सारे पैसे और जेवरात एक लिफाफे में रखवा देते थे। फिर शातिराना तरीके से उस लिफाफे को बदल देते थे। कुछ दूर जाकर फिर कुछ बहाना बनाकर उन्हें कार से उतार देते थे। गढ़वाली में बात करने पर पहाड़ के भोले भाले लोग आसानी से कार में बैठ भी जाते थे। जिसके बाद उनके साथ ठगी हो जाती थी।