देहरादून : शहर के फेमस स्कूल और माइनोरिटी प्रबंधन संचालित St. Joseph’s Academy को सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बच्चों के भविष्य के खातिर सेंट जोसेफ एकेडमी के कब्जे की अरबों रूपये कीमत की सरकारी जमीन स्कूल वापिस दिलवा दी है।
सेंट जोसेफ एकेडमी अवैध निर्माण को ले कर सुर्ख़ियों में रह चुका है। करीब तीन दशक पहले इस स्कूल के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट की गई थी उस समय जैसे-तैसे स्कूल ने ये मामला सुलझाया था। इसके अलावा यह स्कूल बड़े नाम के लोगों के इस स्कूल में पढ़ने से भी जुड़ा हुआ है जो इसकी प्रतिष्ठा में चार चांद लगाते है वहीं स्कूल प्रबंधन के रवैये को ले के भी समय समय पर ढेरों सवाल उठते रहे हैं।
एक माइनोरिटी स्कूल होने के वजह से SJA को RTE में बच्चे न लेने की छूट है लेकिन यह भी सच है कि इस स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाने के दौरान माता-पिता, जिनमें बड़े नौकरशाह-कारोबारी-राजनेता भी शामिल है उनको भी स्कूल प्रबंधन नाच नचाने से बाज नहीं आता है। UP के विभाजन से पहले सम्बंधित आराघर पुलिस चौकी के In-charge तक प्रवेश कराने में कभी-कभी सफल हो जाते थे लेकिन आज के हालात इससे भी बदतर है।
लोगों को अपने बच्चों को इस स्कूल में एडमिशन के लिए एड़ियाँ घिसनी पड़ती हैं। ऐसा तब है जब स्कूल जिस भूखंड को ले के दंभ भरता है कि शहर के बीचों-बीच इतनी बड़ी खेल सुविधाओं से सज्जित वह अकेला स्कूल है, और वह जमीन सरकार की है जो उसको लीज पर मिली है फ्री होल्ड नहीं हुई है।
सचिव R मीनाक्षी सुन्दरम ने लीज को ले के सख्त रुख अपना लिया था। उन्होंने शहर की Parking समस्या दूर करने के लिए इस स्कूल को दी गई जमीन वापिस लेने का आदेश कर दिया था जिससे स्कूल प्रबंधन में खलबली मच गई थी। स्कूल के Old students और कुछ लोगों ने स्कूल प्रबंधन के उनके पास दौड़-धूप करने आने के बाद CM पुष्कर तक मामले को पहुँचाया। मुख्यमंत्री ने स्कूल के बच्चों को खेलने की सुविधा देने के लिए मैदान और जमीन फिर लौटा देने का आदेश दिया।
CM की हिदायत के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आदेश जारी कर स्कूल को नियमानुसार फिर लीज नवीनीकरण करने के आदेश जारी किए। ये भी देखना होगा कि अपनी कुव्वत से खड़े Summer Valley School की Junior Wing समझी जाने वाली बलबीर रोड से सटी Sun Valley की मान्यता महज RTE में पर्याप्त बच्चे भर्ती न करने पर समाप्त करने का बड़ा फैसला शिक्षा विभाग ने ले लिया था.वह भी तब जब वह अल्पसंख्यक स्कूल के दर्जे वाली शर्तें पूरी करता है। इसके लिए आवेदन पर फैसला सरकार में ही लटका हुआ था। RTE के दायरे से बाहर होने के बावजूद वह गरीब बच्चों के प्रवेश काफी संख्या में ले रहा था।
शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत की कोशिशों और आदेश से स्कूल बामुश्किल मान्यता बचा पाया। उसके पास जमीन भी सभी अपनी है। SJA की तरह सरकारी नहीं.अलग-अलग स्कूलों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते हैं। सरकार के पास बेहतरीन मौका है कि कमजोर तबके के प्रतिभावान बच्चों को भी मुफ्त या कम फीस पर या फिर बिना उनकी पारिवारिक पृष्ठ भूमि जांचे-परखे उनको प्रवेश देने के लिए SJA को शर्तों-प्रतिबंधों से बांधे। स्कूल को ये याद जरूर रखना चाहिए कि मुख्यमंत्री पुष्कर न चाहते तो उसकी अरबों की जमीन वापिस सरकार के पास चली जाती। उसके बाद भले वह अदालतों में धक्के खाती।