हरिद्वार। मंगलवार से नवरात्रि शुरू हो गए है। सुबह से ही हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी कही जाने वाली मां मायादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मान्यता है कि नवरात्र के दिनों में मां महामाया देवी के दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यहां आकर श्रद्धालु सच्चे मन से मां की उपासना करते हैं। हरिद्वार के महामाया देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों का केंद्र माना जाता है। इसी मंदिर के नाम पर पूर्व में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था. नवरात्र के अवसर पर यहां माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। हरिद्वार की अधिष्ठात्री मां मायादेवी मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी। इसलिए इसे संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। महामाया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी कहलाती हैं। नवरात्र पर महामाया देवी मंदिर में विशेष तरह का श्रृंगार किया जाता है। इस श्रृंगार को करने के लिए अलग-अलग तरह के फूल और अलग-अलग तरह के फलों की आवश्यकता पड़ती है। सुबह के समय माता को फूलों से सजाया जाता है। शाम को मां महामाया देवी का श्रृंगार अलग-अलग फलों से किया जाता है। माया देवी भगवती के 52 शक्तिपीठों का केंद्र है। चूंकि हरिद्वार में भगवती की नाभि गिरी थी। अतः इस स्थल को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। माया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण डाकिनी, शाकिनी, पिशाचिनी आदि अला बलाओं से तीर्थ की रक्षा करती हैं। कहा जाता है कि यहां दर्शन करे बिना तीर्थों की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।
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