विधानसभा नियुक्ति मामले में हरीश रावत ने किया कुंजवाल का समर्थन

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से सीबीआई जांच करने की मांग की है I जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुप्पी तोड़ते हुए सामने आए है।

सोमवार को नई दिल्ली से देहरादून पहुंचने से पहले ही पूर्व सीएम रावत ने इस संबंध में मीडिया में अपनी बात रखने का एलान किया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में धांधली और हाकम सिंह प्रकरण से ध्यान भटकाने के लिए कुछ लोग अचानक विधानसभा में हुई नियुक्तियों का मामला उछाल रहे हैं। इससे ऐसा वातावरण बन जाए कि यहां सबकुछ गड़बड़ चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह बात राज्य हित में नहीं है। 

हरीश रावत ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का बचाव करते हुए प्रेमचंद अग्रवाल के समय में हुई नियुक्तियों पर सवाल उठाए है। इतना ही नहीं, पूर्व सीएम ने कहा कि यदि सरकार चाहे तो प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों की नियुक्ति रद करने के लिए प्रस्ताव ला सकती है।

रावत ने कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालिन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के समय में जो नियुक्तियां हुईं, वह उस वक्त की जरुरत थीं। हम गैरसैंण में विधानसभा का सत्र चलाने वाले थे। इसलिए तय किया गया था कि विधानसभा सचिवालय को गैरसैंण ले जाया जाए। तब हमें लोगों की जरुरत थी।

उन्होंने कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों के मामले में केवल गोविंद सिंह कुंजवाल को सिर्फ इसलिए टारगेट नहीं किया जा सकता कि उन्होंने अपने बेटे को भी नियुक्ति दिलाई। हालांकि इस निर्णय में नैतिक बल का जरूर आभाव दिखता है, लेकिन यदि प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को विधानसभा में नियुक्ति नहीं दी जा सकती तो सरकार इसके लिए एक सर्वभौमिक नीति बनाए। नीति में यह तय हो कि जितने भी प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार नियुक्त हैं, उनका क्या किया जाए। 

हरीश रावत ने राज्य में तमाम विभागों में नियुक्ति में धांधली के सवाल पर कहा कि सभी भर्तियों की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से कराई जानी चाहिए। 

रिश्तेदारों को सिफारिश से नौकरी के सवाल पर पूर्व सीएम में कहा कि लिस्ट बहुत लंबी है, इसमें मंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल कोई नहीं छूटा है। समय आने और जरुरत पड़ने पर वह इसका खुलासा करेंगे।

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