मेडिकल स्टोर में छापा, दवाइयों के नाम पर कर रहे थे नशे का कारोबार

देहरादून: दवाइयों की आड़ में नौजवानों को नशे के कैप्सूल सप्लाई करने वाले मेडिकल स्टोर संचालक दो भाइयों को प्रेमनगर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों से 66 हजार प्रतिबंधित कैप्सूल और टैबलेट बरामद किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, दोनों भाई पिछले 10 साल से बिना लाइसेंस यह कार्य कर रहे थे। नशे के इस कारोबार में एक डिस्ट्रीब्यूटर का नाम सामने आया है, जल्द उसकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। हिमाचल प्रदेश के बद्दी से ये प्रतिबंधित कैप्सूल व टैबलेट सप्लाई हो रहे थे। पत्रकारों से वार्ता में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि प्रेमनगर थानाध्यक्ष पीडी भट्ट को सूचना मिली कि सुद्धोवाला चौक के निकट वंश मेडिकल स्टोर का संचालक प्रतिबंधित नशे के कैप्सूल और टैबलेट बेचता है। मेडिकल स्टोर पर दबिश के दौरान दोनों भाई प्रतिबंधित नशा बेचते हुए पकड़े गए। तलाशी के दौरान मेडिकल स्टोर से 54448 कैप्सूल और 11400 टैबलेट बरामद किए गए। पुलिस ने आरोपित कृष्ण कुमार व उसके भाई विनय कुमार निवासी बल्लूपुर को गिरफ्तार कर लिया है। 2013 से कर रहे थे यह काम पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह वर्ष 2013 से यह कार्य कर रहे हैं। उनके पास लाइसेंस भी नहीं है। कई युवक इन कैप्सूल व टैबलेट का उपयोग नशे के लिए करते हैं, इसलिए वह इन्हें महंगे दाम पर बेचते हैं। उनकी सुद्धोवाला चौक पर ही वंश मेडिकल स्टोर व आयुष मेडिकल स्टोर के नाम से दो दुकानें हैं। पहले वह सुद्धोवाला चौक पर किराये की दुकान में मेडिकल स्टो चलाते थे, लेकिन वर्तमान व उन्होंने अपनी दुकानें खरीद ली हैं। एसएसपी ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ में एक सप्लायर का नाम सामने आया है। उसका नाम इंद्रजीत है। वह रेसकोर्स में रहता है। आरोपितों ने बताया है कि वह इंद्रजीत से ही नशे के कैप्सूल और टैबलेट खरीदकर लाए थे। इस मामले में ड्रग इंस्पेटर को भी पत्र लिखा गया है। वहीं, टैबलेट व कैप्सूल पर लगे बैच नंबर को भी चेक किया जा रहा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये किस फैक्ट्री में बने हैं। वहीं, पकड़े गए माल के नकली होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। आरोपियों पर आपार संपत्ति होने का अंदेशा एसएसपी ने बताया कि जिस तरह से आरोपितों से बड़ी मात्रा में नशे की खेप बरामद हुई है, उससे लग रहा है कि उन्होंने इस धंधे से काफी संपत्ति अर्जित की है। जल्द ही दोनों भाइयों के खिलाफ गैंगस्टर में मुकदमा दर्ज कर उनकी संपत्ति अटैच करवाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। यदि अन्य आरोपितों के नाम सामने आते हैं, तो उन्हें भी मुकदमे में शामिल किया जाएगा।

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