विदेश नीति पर हावी हुई थी वोटबैंक की राजनीति: एस जयशंकर

देहरादून: गुजरात के अहमदाबाद में जयशंकर की किताब ‘द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ के गुजराती अनुवाद का विमोचन के लिए समारोह आयोजित किया गया। इसी मौके पर विदेश मंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण से लेकर भविष्य में भारत की विदेश नीति पर बात की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2047 के भारत पर बात करते हुए कहा कि मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा, लेकिन मैं आपको एक बात बताऊंगा, नरेंद्र मोदी सरकार का विदेश मंत्री होना भी एक बड़ी ताकत है। मूल विश्वास, आत्मविश्वास और दृष्टिकोण हैं, और दुनिया इसे पहचान रही है।

बता दें, इससे पहले पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि 2047 में भारत विकसित देश बन जाएगा और विकसित देश का विदेश मंत्री होना अपने-आप में बड़ी बात है। 

विदेश मंत्री ने भारत- इस्राइल संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि एक समय था जब वोटबैंक की राजनीति विदेश नीति पर हावी हो गई थी जिसने इस्राइल के संबंध को आगे बढ़ाने से रोका। 

एस जयशंकर ने कांग्रेस का नाम लिए बिना उसपे तंज कसते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक कारणों से, हमें खुद को इस्राइल के साथ संबंध बढ़ाने से प्रतिबंधित करना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जो इस्राइल गए थे… अब वह समय जा चुका है जब हम वोट बैंक की राजनीति से राष्ट्रहित को अलग रखते हैं। हम राजनीतिक फायदे के लिए विदेश नीति को प्रभावित नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को आत्मविश्वास दिखाना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी हमारी आदतों के कारण है जो हमें बांधे रखती है। 

जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका को एंगेज करना, चीन को मैनेज करना, रूस को आश्वस्त करना… भारत की विदेश नीति में ‘सबका साथ-सबका विकास’ है।

उन्होंने आगे कहा कि अब तक, जब भी हम महासागरों के बारे में सोचते हैं, हम हिंद महासागर के बारे में सोचते हैं। यह हमारी सोच की सीमा है कि जब भी हम सुमुद्री हित के बारे में बात करते हैं तो हम हिंद महासागर के बारे में बात करते हैं।

डॉ. एस जयशंकर ने कहा हमारा पचास प्रतिशत से ज्यादा व्यापार पूर्व की ओर प्रशांत महासागर पर जाता है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच की रेखा केवल मानचित्र-एटलस पर मौजूद है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है…हमें अपनी सोच में ऐतिहासिक रेखाओं से परे जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि हिंद प्रशांत दुनिया में चल रही एक नई रणनीतिक अवधारणा है। 

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